Sunday, 24 December 2017

लालू की गिरफ़्तारी नितीश की ताबूत में आखरी कील

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बहुचर्चित चारा घोटाले में आज आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव पर आरोप तय हो गया. अब आगामी ३ जनवरी को फैसला सुनाया जाएगा. लालू जेल जायेंगे यह तो पक्का है मगर अबकी बार लालू का जेल जाना उनकी पार्टी के लिए अब तक का सबसे बड़ा वरदान साबित होगा क्यूंकि बिहार की राजनितिक हवा उनके अनुकूल है. अगर यह फैसला २जी घोटाले के फैसले के कुछ महीने बाद आता तो शायद इसका इतना बड़ा असर नहीं होता. अगर सीबीआई केंद्र सरकार के इशारों पर काम कर रही है तो यह मोदी की सबसे बड़ी हार साबित होने वाली है और नहीं तो सीबीआई ही मोदी की सबसे बड़ी दुश्मन है. क्यूंकि इस फैसले के बाद बिहार में लालू को हराने के लिए चार मोदी लाने पड़ेंगे जो रोज़ २० रैलियां कर सकें.

इंदिरा गाँधी की हत्या जैसी है लालू की गिरफ़्तारी


राजनीती के जानकारों को पता होगा कि इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए चुनाव में कैसे विरोधी पार्टियों की हार हुई थी और पूरी सहानुभूति राजीव गाँधी के पक्ष में आ गई थी. तेजस्वी यादव अब इस काबिल हो गए हैं कि इस पारिवारिक त्रासदी को अपने हक में कैश कर सकें. नितीश कुमार के लिए कुछ भी अच्छा नहीं होने जा रहा. कहीं अगला चुनाव उनका राजनितिक अंत न कर दे.

गठबंधन तोड़ कर उन्होंने अपनी टांग पहले ही तोड़ ली है, राज्य की जनता इसे लोकतंत्र की पीठ में घोंपा गया छुरा समझ रही है क्यूंकि चुनाव के नतीजे जिसके खिलाफ थे, जनता ने जिसके विरुद्ध अपना मत दिया आज प्रदेश में उसी की सरकार है इससे बड़ी त्रासदी किसी लोकतंत्र के लिए और क्या हो सकती है? गठबंधन टूटने के बाद ही महसूस किया जाने लगा था कि अब जनता का पूरा समर्थन लालू के साथ है. इसी बीच २जी का फैसला आना जिसमें बीजेपी की षड्यंत्रों का पर्दा फाश हो जाना और किसी को सजा न होना मोदी के खिलाफ हवा बनाने में सफल साबित हुआ.

जनता के समझ में बात आ गई कि उनके साथ बहुत बड़ा धोखा हुआ, जिसको आधार बना कर बीजेपी ने पूरे देश में एक माहौल बनाया वो दरअसल कुछ था ही नहीं, मगर अब दोबारा चुनाव नहीं हो सकते. २जी में किसी को सजा नहीं मिली इसका यह भी मतलब निकाला गया कि चूँकि इसमें भले ही कांग्रेस के लोग शामिल थे मगर उनका सम्बन्ध या तो बड़ी जाती से था या वह पूँजीपति लोग थे जो हमेशा से बीजेपी के चहेते रहे हैं. अभी यह चर्चा चल रही थी कि चारा घोटाले में पिछड़ों के मसीहा माने जाने वाले लालू को जेल की सजा सुनाई गयी जबकि उसी केस में ब्राह्मण जाती के जगन्नाथ मिश्र को बरी कर दिया गया.


अब बिहार जैसे राज्य में जहाँ हर समीकरण जाती के आधार पर बनते हैं यह समझाना बहुत मुश्किल है कि एक ही केस में एक पिछड़े को जेल और एक अगड़े को बेल कैसे. बिहार की ज़मीन वैसे भी बीजेपी की ज़हर बोने के लिए कभी भी उपयुक्त नहीं रही है अब तो रहा सहा आधार भी जाने वाला है क्यूंकि नितीश अपने साथ साथ बिहार के मोदी को भी लेकर डूबने वाले हैं. 

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1 comment:

  1. Finally, he has done a wrong thing like other political leaders.

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