Sunday, 28 January 2018

६४ वर्षीय वृद्ध को पाकिस्तानी बता कर पीटा, हरयाणा पुलिस का अमानवीय कृत्य


आरएसएस द्वारा बोये गए ज़हर का भयानक रूप अब गोरक्षा के अतिरिक्त सरकारी विभागों में भी देखा जा सकता है।

हरयाणा पुलिस की एक अमानवीय कृत्य सामने आयी है जिसमें उसने अपने पिता के उम्र के एक मुस्लिम वृद्ध को जबरदस्ती पाकिस्तानी बता कर इतनी बुरी तरह पीटा है कि अब ६४ वर्षीय मोहम्मद रमजान उठने के लायक नहीं हैं। कमाल की बात यह है कि उनके साथ यह अमानवीय कृत्य स्थानीय पुलिस ने किया है जहाँ से कुछ ही दूरी पर वह अपने पांच बेटों के साथ रहते हैं। मोहम्मद रमजान एक स्थानीय दुकानदार के यहां गाड़ी चलाने का काम करते हैं। बीबीसी के अनुसार यह घटना पांच दिन पुरानी है जब पूरा देश ६९वें गणतंत्र दिवस की तैयारियों में लगा था और कई देशों से आये अतिथियों को दिखा रहा था कि देखो हमारा देश कितना बड़ा गणतंत्र है।

६४ वर्षीय रमजान के अनुसार वह अपने काम से अपने सहयोगी कंडक्टर के साथ वापस लौट रहे थे तभी पुलिस ने उन्हें रोका और थाने ले गयी। बिना छान बीन के उन्हें आतंकवादी, मुस्लिम और पाकिस्तानी कह कर पीटना शुरू कर दिया जबकि वह अपना पहचान पत्र दिखाते रहे और गिड़गिड़ाते रहे।  इससे स्पष्ट है कि उनका उद्देश्य किसी पाकिस्तानी को पकड़ना था ही नहीं बल्कि एक व्यक्ति को सिर्फ इसलिए पीटना था कि उसने दाढ़ी रख रखी थी और वह मुसलमान था। अगर उन्हें किसी पाकिस्तानी को पकड़ना होता तो उनकी छान बीन होती, ख़ुफ़िया विभाग के लोगों के सामने पेश किया जाता फिर चाहे फांसी पर लटका देते।

मोहम्मद रमजान के अनुसार भ्रष्ट पुलिस वालों ने उनसे ३७,००० रूपये भी छीन लिए। इससे स्पष्ट है कि वह आरएसएस की किसी सभा से प्रेरणा ले कर आ रहे थे और उसी जुनून में उन्होंने ऐसी कार्रवाई को अंजाम दिया। जब ज़ाकिर नायक से प्रेरणा ले कर कोई आतंकवादी बन सकता है और नायक को देश से भागना पड़ता है तो क्या उन लोगों पर कोई कार्रवाई नहीं होना चाहिए जिनसे प्रेरणा ले कर नकली हिंदुत्व के नाम पर कोई इस प्रकार की अमानवीय कृत्य को अंजाम देता है? मगर कार्रवाई कौन करेगा? उस सरकार से कोई कैसे आशा रख सकता है जो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी मुट्ठी भर करणी सेना के गुंडों को काबू में नहीं कर सकी।

अब यह फैसला देश के उन नौजवानों को करना है जो आवेश में आ कर उन लोगों का सहयोग करते हैं जिनका उद्देश्य केवल देश में नफरत को हवा देना है और इसके सहारे अपनी राजनितिक दुकान चमकानी है। महंगाई कहीं जाये कोई चिंता नहीं, पकौड़े बेचना पड़े मंज़ूर है, सौ रूपये पेट्रोल खरीदना पड़े वह भी चलेगा, बिना नौकरी के भी जी लेंगे मगर सच का सामना करने की हिम्मत नहीं। अगर देश का युवा ऐसा हो जाये तो देश कहाँ जायेगा इसकी कल्पना आप कर सकते हैं।

पुलिस के उच्य अधिकारीयों ने इस घटना की निंदा की है और उक्त पुलिस वालों पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया है मगर ऐसा होगा इसकी उम्मीद कम है क्या पता कल राजस्थान के राजसमंद की भांति हिंदूवादी संगठनें थाने में पहुँच जाएं और उन्हें हिन्दू ह्रदय सम्राट बता कर कार्रवाई न करने की मांग करने लगें।
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