Courtesy: NDTV |
फिल्म को हिट करवाने के लिए कोई भी षड़यंत्र किया जा सकता है.
कल से अचानक
टीवी पर मानो क़यामत आ गई है, इसके ख़रीदे हुए मीडिया देश के सभी ज्वलंत मुद्दों को
छोड़ कर एक नौटंकी वाली के पीछे पड़ गया. उसकी नौटंकी बाज़ी को इस्लाम से जोड़ दिया और
कुछ नाटकबाज़ मुल्लाओं को चैनल पर बिठा कर फिल्म को हिट करवाने के जुगाड़ में लग गए.
आज से कुछ दिन पहले पद्मावती के साथ भी यही हुआ. जो लोग मानते हैं कि करणी सेना ने
पद्मावती का वोरोध किया था वह सबसे बड़े मूर्ख हैं. इस पूरे प्रकरण में दो चार नेता
करोड़पति बन गए और अगले चुनाव में उनकी सीट और पार्टी का टिकट भी पक्का हो गया. जो
डंडे लेकर उनके मान सम्मान का हव्वा खड़ा किए थे उन्हें आगे भी डंडे ही मिलेंगे इधर
संजय लीला भंसाली ने चार सौ करोड़ कमा लिए, कितना कितना किसको दिया इतना नहीं मालूम
परन्तु बिना दिए फिल्म का प्रोमोशन नहीं होता यह सभी जानते हैं.
पिछले दिनों
रिलीज़ हुई फिल्म पद्मावत और इस मल्लू फिल्म ‘ओरु अदार लव’ के बीच समानता को देखते
हैं. हो सकता है कि संजय लीला भंसाली को राजपूतों से कुछ दुश्मनी हो या महारानी
पद्मावती इनकी रोल मॉडल रही हों जिसको लेकर उन्होंने फिल्म बनाई और विवाद ने फिल्म
के प्रमोशन का काम किया और आज फिल्म ५०० करोड़ का आंकड़ा छूने को है. लेकिन इस फिल्म
का 90% यूनिट मुस्लिम है और गीत जिसे विवाद का जड़ माना जा रहा है उसे लिखा भी एक
मुस्लिम ने ही है और कम्पोज भी एक मुस्लिम ने ही किया है और जिन पर विवाद है उनमें
से एक अर्थात नौटंकी बाज़ भी एक मुसलमान ही है. अब कैसा मुसलमान है इसकी चर्चा नहीं
करें तो अच्छा है क्यूंकि आजकल ऐसे मुसलमान भी हैं जो टीवी पर बैठ कर मुसलामानों
को गाली देते हैं और फिर भी लोग उन्हें मुसलमान ही मानते हैं जैसे मौलाना कल्बे और
रिजवान काद्यानी.
मुसलमानों की
चर्चा शुरू हुई है तो पहले उस मुसलमान की चर्चा करते हैं जिसने सबसे पहले आपत्ति
दर्ज कराई और फिल्म यूनिट पर मुक़द्दमा ठोक दिया. वाह भाई कमाल कर दिया, मगर ऐसा
कमाल कई सौ साल पहले किसी मुसलमान ने क्यों नहीं किया? मैं कैसा मुसलमान हूँ यह
फैसला करने से पहले उस गाने को सुनते हैं जिस पर विवाद हुआ है या यूं कहें कि
प्रमोशन शुरू हुआ है.
Courtesy: Youtube/Muzik247
मेरी ही तरह आप
में से बहुत लोगों ने इस गाने का मतलब नहीं समझा होगा इसी लिए मैं इसका ट्रांसलेशन
कर के आपके लिए लाया हूँ अब आप गाने को सुनें और अनुवाद को पढ़ें फिर बताएं.
Manikya Malaraya Poovi
|
A woman like the pearl flower
|
Manikya Malaraaya Poovi
Mahathiyam Khadeeja Beevi
Makkayenna Punya Nattil
Vilasidum Naari…
Vilasidum Naari…
|
A woman like the pearl flower
Her highness-
Khadeja Beebi
In the holy city of
Macca
She lived like a
Queen
एक स्त्री बिल्कुल एक ऐसे फूल के समान जिसमें मोती जड़ दिया गया हो.
हज़रत ख़दीजा बीबी रज़ी.
पवित्र मक्का शहर में
एक रानी की तरह रहती थीं
|
Manikya Malaraaya Poovi
Mahathiyam Khadeeja Beevi
Makkayenna Punya Nattil
Vilasidum Naari…
Vilasidum Naari…
|
A woman like the
pearl flower
Her highness Khadeja
Beebi
In the holy city of
Macca
She lived like a
Queen
एक स्त्री बिल्कुल एक ऐसे फूल के समान जिसमें मोती जड़ दिया गया हो.
हज़रत ख़दीजा बीबी रज़ी.
पवित्र मक्का शहर में
एक रानी की तरह रहती थीं
|
Haathamunnabiye Vilichu
Kachavadatheenayachu
Kanda Neram Galbinullil
Mohamudhichu…
Mohamudhichu…
|
Asked Khathimun Nabi
Sent as in charge of
trade
At the first sight
of him
She desired him
अंतिम नबी स. को बुलाया
उनको व्यापार का इन्चार्ग बना कर भेजा
पहली ही नज़र में
वह उन्हें चाहने लगीं थीं
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Kachavadavum Kayinj
Muth Rasoolulla Vann
Kalliyaanalojanaykkaay
Beevi Thunij…
Beevi Thunij…
|
After completing the
expedition
Blessed Rasulullah
came back
To marry the Prophet
was the Bibi desire
अभियान को समाप्त कर के
पवित्र रसूलुल्लाह स. वापस लौटे
ख़दीजा बीबी रज़ी. पैग़म्बर स. से शादी करना चाहती थीं
|
इस्लाम
में मूवी देखना जायज़ नहीं मगर मैंने बहुत सी फिल्में देखी हैं और यह गीत भी मुझे
बॉलीवुड की उन हज़ारों गीतों की तरह ही लगी जिसको हम नज़्म, नात और क़व्वाली कह कर
टोपी लगा कर सवाब की नियत से मज़े से देखते हैं. इस गीत में अगर हज़रत खदीजा का
ज़िक्र है तो न जाने कितने क़व्वालियों में हज़रत फातिमा, अली रज़ी. का ज़िक्र आता है
तब हमने बवाल क्यों नहीं किया था? इस गीत में स्टेज प्रोग्राम में कुछ साज़िन्दे
नात पढ़ रहे हैं और स्टेज के आगे पीछे क्या
हो रहा है उससे उस नात का क्या संबंध? बहुत सी जगहों पर औरत स्टेज पर कमर
मटका मटका कर इस्लामी क़व्वाली गाती है और उसमें हज़ारों बार नबी सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम का नाम आता है तब हम सीधा जन्नत में चले जाते हैं. इन दो विडियो को आप
देखें.
Courtesy: Youtube/Coke Studio@MTV/produced by Hitesh sonik
इस्लाम का सहारा
ले कर किसी फिल्म की पब्लिसिटी और प्रमोशन करने वाले लोगों को इन औरतों में कोई
खदीजा या फातिमा क्यों नहीं दिखती जो इस्लाम के नाम पर तिजारत करती हैं? मज़े की
बात तो यह है कि हम इसको भी इस्लाम का पार्ट ही मानते हैं. अल्लाह बचाए.
यह साहब एक
यहूदी हैं और यह डायरेक्ट अल्लाह ही मानते हैं अपने आपको. नाम है इनका फ़ना फिल्लाह
अर्थात डायरेक्ट अल्लाह इनमें घुस चुका है और यह जो भी करते दिख रहे हैं सब इस्लाम
ही है कुछ भी इस्लाम के विरुद्ध नहीं. तौबा अस्ताग्फिरुल्लाह.
पता नहीं क्यों
उन मुस्लिम फिल्मकारों को ऐसा लगता है कि इस्लाम और मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम को उनकी ज़रूरत है वरना उनकी शख्सियत अधूरी रह जाएगी और उनको वह उन माध्यमों
से लोगों को समझाने की कोशिश करते हैं जिसका इस्लाम में कोई स्थान ही नहीं है.
म्यूजिक, गाना बजाना इस्लाम का पार्ट ही नहीं है इन फिल्मकारों को कौन समझाएगा.
इस्लाम पर इनका बहुत बड़ा एहसान होगा अगर यह इस्लाम को अपने हाल पर छोड़ दें. बिना
इनके प्रचार प्रसार के ही माशाअल्लाह इस्लाम संसार का सबसे तेज़ी से फैलने वाला
धर्म है और शायद किसी ने इन्हें बहला कर उसके रास्ते का रोड़ा बनने पर मजबूर किया
है और यह समझ रहे हैं कि हम पुन्य का काम रहे हैं.
शैतान जब किसी
को भटकाता है तो एक खूबसूरत सा नारा देता है जिसमें इतनी कशिश होती है कि आदमी
उसके जाल में फंसता चला जाता है जैसे मोदी ने एक नारा दिया “अच्छे दिन आएंगे” और
लोग आरएसएस की जाल में फंस गए. इस्लामी इतिहास का एक उदाहरण देता हूँ जिससे आप
आसानी से समझ जायेंगे कि शैतान कितना सुन्दर जाल बिछाता है. मुहम्मद स. की मौत के
बाद एक यहूदी इस्लाम का चोला ओढ़ कर मक्का में आया और मस्जिद में बैठ गया. वह दौर
ऐसा था कि लोग इस्लाम की खुशबू से कहीं से भी मक्का चले आते थे तो किसी को शक नहीं
हुआ. धीरे धीरे उसने लोगों को समझाना शुरू किया कि मुहम्मद स. के बाद अली रज़ी.
उनके सबसे करीबी हैं तो उनको खलीफा बनना चाहिय. यह बात वह कभी सरे आम नहीं कहता था
और न ही किसी पढ़े लिखे सहाबी से कहता था मगर चुपके चुपके वह इस काम में लगा रहा.
उसका नाम
अब्दुल्लाह इब्न सबा था. लोगों को लगता था कि यह सही कह रहा है क्योंकि उनको पता
नहीं था कि जो वह कह रहा है वह एक दम से इस्लाम के खिलाफ है. इस्लाम का उसूल है कि
खलीफा हमेशा आम लोगों के चुनाव से ही बनेगा. मगर चूँकि बात मुहम्मद स. के परिवार
से जुडी थी तो लोग मुहब्बत में उस उसूल को भूल जाते थे. कितना मीठा ज़हर था आप सोच
सकते हैं. धीरे धीरे इस ज़हर ने इस्लाम को बांट दिया और इस्लाम का एक नया रूप भी
दुनिया ने देख लिया वह था शिया. मगर चूँकि उनकी बुनियाद एक झूठ पर पड़ी जिसका मकसद
इस्लाम को नुकसान पहुँचाना था जो आज भी मौलाना कल्बे सादिक और वसीम रिज़वी की शकल
में आप देख सकते हैं जो खुले आम जय श्री राम का नारा लगाते हैं और इस्लाम के खिलाफ
बोलते हैं.
फिल्म की गन्दगी
का इस्लाम से कोई लेना देना नहीं है तो जो मुस्लिम फिल्म से जुड़े हैं कृपया अपने
पेशे और सोच को इस्लाम से दूर रखें. इस फिल्म के यूनिट ने जो कि अधिकतर मुसलामानों
पर आधारित है सोचा होगा कि हम इस्लाम को फिल्म के माध्यम से फैला रहे हैं इसिलिय
उन्होंने ऐसा गीत चुना. यह उनकी भूल थी कि गंदगी से एक स्वक्ष इतिहास लिखेंगे. मगर
चूँकि मुस्लिम वर्ग जो सही इस्लाम को नहीं समझ पाता वह फिल्मों में और गीत संगीत
में इन झूठे मुसलमानों की करतूतों को पसंद करता आया है चाहे उसको इस्लामी समझ कर
ही करे इसलिए इन फिल्मकारों को हिम्मत भी होती है.
जबसे संसार की
उत्पत्ति हुई है तभी से अल्लाह ने दो शक्तियां धरती पर उतारी हैं एक का काम है
दुसरे को बहला फुसला कर गलत रास्ते पर ले जाना. और जिसका काम बहलाना फुसलाना है
उसको संसाधन भी ईश्वर ने अधिक दिया है ताकि लोगों को प्रलोभन दिया जा सके. ऐसा मैं
नहीं कह रहा है कुरान में अल्लाह का फरमान है. जब इब्लीस को आदम के साथ जन्नत से
बाहर किया गया तो उसने अल्लाह से उसके बन्दों को बहकाने के लिए बहुत सी शक्तियों
की फरमाइश की जिसे अल्लाह ने स्वीकार भी किया और अता भी किया. हिन्दू धर्म में भी
कहा जाता है कि रावण के पास भगवान राम से अधिक शक्तियां और ज्ञान का भण्डार था. अब
शैतान आपको बहलाने के लिए प्रिया प्रकाश भी बन सकता है जिसके हुस्न में आप उलझ
जाएं या मौलाना कल्बे सादिक और सलमान नदवी भी बन सकता है जिसके रूप से आप भ्रमित
हो जाएं कि यार यही सच्चा मुसलमान लगता है. याद रहे कि जन्नत का ऐसा कोई कोना नहीं
था जहां इब्लीस ने सजदा नहीं किया था मगर अल्लाह का एक हुक्म न मानने की वजह से आज
वह इब्लीस है.
देशवासियों!
विशेष कर मुस्लिम भाईयों, २०१४ से अपना हिन्दुस्तान गांधीजी वाला हिन्दुस्तान नहीं
रह गया है. जिस दिन नरेन्द्र मोदी ने शपथ लिया उसी दिन गाँधी की दूसरी बार हत्या
हुई, क्योंकि सभी जानते हैं कि मोदी गोडसे भक्त अर्थात आरएसएस भक्त है ऐसा उसने
स्वयं भी स्वीकार किया है और आरएसएस ही नहीं कोई भी ऐसी संस्था या धर्म या पन्त
जिसका अपना कोई स्तित्व न हो वह चाहता है कि लोगों को उसके बारे में जानने और
समझने का मौका न मिले और लोग बिना बात की बात में आपस में उलझे रहें और वह अपना
उल्लू सीधा करता रहे. मुस्लिम
नौजवानों से अपील है कि वह इस्लाम को ठीक ढंग से समझें और इन कबाड़ियों से बच कर
रहें, इस गाने का विरोध कर इस फिल्म को हिट करने की कोई ज़रूरत नहीं है.
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आपकी राय और विचार का इंतज़ार रहेगा. अपनी प्रतिक्रिया अवश्य दें.
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